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गेहूं धान की फसल से चाहते है छुटकारा, तो इस सदाबहार फसल की खेती से होगी तगड़ी कमाई

Farming News : आजकल तकनीक का जमाना है। मौजूदा समय में अधिकतर किसान अपना फसल चक्कर बदलना चाहते हैं। आप एक किसान हैं और गेहूं धान की फसल बोकर थक चुके हैं।

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गेहूं धान की फसल से चाहते है छुटकारा, तो इस सदाबहार फसल की खेती से होगी तगड़ी कमाई

Agriculture News : आजकल तकनीक का जमाना है। मौजूदा समय में अधिकतर किसान अपना फसल चक्कर बदलना चाहते हैं। आप एक किसान हैं और गेहूं धान की फसल बोकर थक चुके हैं। आज हम आपको एक खास खेती की जानकारी देने वाले हैं जो आप खाली पड़ी जमीन पर आसानी से कर सकते हैं। जिसमें आपको बहुत ही कम लागत में लाखों की कमाई हो सकती हैं। आज हम आपको कटहल की खेती के बारे में बताने जा रहे हैं। 

कम लागत ज्यादा मुनाफा 

उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद शहर के रहने वाले किसान महमूद ने जानकारी दी की कटहल का एक पौधा औसतन ₹50 में मिल जाता है। जो आप खेत में या फिर घर में खाली पड़ी जमीन पर लगा सकते हैं। इसकी खेती करने में ज्यादा लागत नहीं आती। अगर सही समय से इसकी सिंचाई की जाए तो यह जल्द ही तैयार हो जाता है। 

पौधे की देखभाल 

अगर पौधे की देखभाल अच्छे से की जाए तो यह जल्द ही बढ़ना शुरू हो जाएगा और बहुत ही कम समय में फल आना शुरू हो जाएगा। इसके साथ-साथ कटहल के पौधों के नीचे सब्जियां लगाकर डबल फायदा उठाया जा सकता है। आमतौर पर कटहल 30 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिकता है। 

मौसम

कटहल की खेती किसी भी मौसम में आसानी से की जा सकती है। इसी वजह से इसे सदाबहार खेती बोला जाता है। उत्तर प्रदेश के कई जिलों मैं कटहल की खेती की जाती है। परंतु सबसे अधिक खेती फर्रुखाबाद जिले में होती है। यहां कटहल के भागों को एक विशेष तरीके से तैयार किया जाता है। 

फर्रुखाबाद में कटहल का शानदार उत्पादन होता है। यहां से कटहल को लोड करके आजादपुर, फरीदाबाद, साहिबाबाद और अन्य राज्यों में भेजा जाता है। फर्रुखाबाद के निवासी मोहम्मद ने जानकारी देते हुए बताया कि कटहल की खेती के लिए सबसे पहले अच्छे तरीके से खेत की बुवाई की जाती है। 

खेत में पांच-पांच मीटर की दूरी पर बड़े-बड़े गड्ढे बनाए जाते हैं। दिन में गोबर से जैविक खाद तैयार करके डाली जाती हैं। इसके बाद इन गढ़ों में कटहल के पौधों को लगा दिया जाता है और 15 दिन के बाद सिंचाई की जाती है। सिंचाई के समय पौधों की जड़ों में नीम की खली का प्रयोग किया जाता है। जिससे पौधे आने वाले 6 साल में फल देना शुरू कर देंगे। 
 

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