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नार्मल धान से कितना अलग है काला चावल, क्यों आती है खुश्बू? समझें खेती का तरीका

UP News : उत्तर प्रदेश के बहराइच में साधारण धान की तरह काला नमक धान की खेती की जाती है. काला नमक धान की पैदावार एक बीघे में ढाई कुंतल तक होती है. बाजार में इसका मूल्य सामान्य चावलों से लगभग तीन गुना ज्यादा होता है. 

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नार्मल धान से कितना अलग है काला चावल, क्यों आती है खुश्बू? समझें खेती का तरीका

Black Salt Rice In Bahraich : काला नमक धान सामान्य धान से कितना अलग होता है. इस धान में आखिर क्यों खुशबू आती है. इस धान की प्राकृतिक खेती किस प्रकार की जाती है? बता दें कि सामान्य प्रकार के धान की तरह ही काला नमक धान की खेती की जाती है। इससे धान की पहले बुवाई की जाती है. 20 और 30 दिन के बाद पौधे तैयार हो जाते हैं.  इसके बाद इसकी रोपाई कर दी जाती है. यह काला चावल सामान्य चावल से काफी महंगा होता है। लेकिन फिर भी काला चावल बाजार में ग्राहकों की पहली पसंद होता है। 

इस प्रकार करें पौधे की रोपाई

काला चावल की रोपाई करते वक्त लाइन से लाइन के बीच 20 मीटर की दूरी रखनी चाहिए. पौधे से पौधे के बीच की दूरी 15 सेंटीमीटर रखना अति जरूरी होता है. इसकी रोपाई करते वक्त यह खास ध्यान रखना चाहिए कि एक ही जगह पर दो से तीन पौधे ही लगाए जाने चाहिए. बता दें कि प्राकृतिक खेती मुख्य रूप से घन जीवामृत और तरल जीवामृत से की जाती है. घन जीवामृत एक अत्यंत उपयोगी जीवाणु युक्त सुखी जैविक खाद है. इस खाद को बनाने के लिए गाय का गोबर प्रयोग किया जाता है. गाय के गोबर में कुछ अन्य चीजों को मिलाकर इसे बनाया जाता है. इस घन जीवामृत खाद को के वक्त या फिर खेत में पानी देने के तीन दिन बाद ही इसे अपने खेत में डालना चाहिए.

तरल जीवामृत एक बेहतरीन जैविक खाद

तरल जीवामृत एक बेहतरीन जैविक खाद है। गोबर को पानी में कई अन्य पदार्थों के साथ मिलाकर बनाया जाता है, जो पौधों की वृद्धि और विकास में मदद करता है। यह पौधों को कई रोगाणुओं से बचाता है और उनकी प्रतिरक्षा क्षमता को बढ़ाता है, जिससे वे स्वस्थ रहते हैं। इससे फसल की अच्छी पैदावार मिलती है।

प्रति बीघे जमीन पैदावार

किसानों ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रकृति खेती द्वारा काला नमक धान की खेती करने से एक बीघे जमीन में ढाई कुंतल तक पैदावार हो जाती है।

बहराइच विश्वविद्यालय ने 2023 में दो नई प्रजातियों का काला नमक निकाला है, जैसा कि बहराइच कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी अधिकारी डॉ. शैलेंद्र सिंह ने बताया। काला नमक पहली प्रजाति का नरेंद्र है। 2023 में ये निकाले गए और 148 से 152 दिन में पककर तैयार हो गए। 40 से 50 कुंतल प्रति हेक्टेयर उत्पादन होता है। यह पतले गाढ़े भूरे दाने और सुगंधित है। यह पहले की प्रजातियों से झूठा खंडवा रोग का प्रतिरोधी है। इस तरह की समस्याएं उसमें आती थीं।

लागत और मुनाफा 

किसान एक हेक्टेयर में लगभग चालीस हजार रुपये खर्च आता है। इसलिए वर्षा ऋतु में काफी ज्यादा उतार चढ़ाव होता रहता है। जब वर्षा बहुत कम होती है, तो किसी साल वर्षा अच्छी होती है। खाद इस हिसाब से खर्च होता है। बात बाजारों में मूल्यों पर जाएं तो, सामान्य चावल से इसका मूल्य काफी अलग है। जब सामान्य चावल 30-35 रुपये प्रति किलो मिलता है। काला नमक चावल भी लगभग 100 रुपए प्रति किलो है। चावल खाने के बाद ग्राहक इसे पहले पसंद करते हैं।
 

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