पंजाब में धान की वजह से बिगड़ा जमीनी जलस्तर, 16 जिलों में हालत चिंताजनक
Punjab News :पंजाब का भूजल स्तर लगातार गिरता जा रहा है। पंजाब के 16 जिलों में पानी को लेकर हालात बदतर होते जा रहे हैं। 4 जिलों में थोड़ी राहत मिली है, लेकिन यहां भी हालात ठीक नहीं हैं।
Groundwater In Punjab : पंजाब का भूजल स्तर लगातार गिरता जा रहा है। प्री मानसून (जून 2023) भूजल स्तर विश्लेषण रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। पंजाब के 16 जिलों में पानी को लेकर हालात बदतर होते जा रहे हैं। 4 जिलों में थोड़ी राहत मिली है, लेकिन यहां भी हालात ठीक नहीं हैं। 23 में से 20 जिलों की रिपोर्ट में संगरूर का जलस्तर सबसे खराब है।
यहां जून 2013 में जलस्तर 38.37 मीटर था, जो जून 2023 में 44.26 मीटर पर पहुंच गया। जून 2013 में पटियाला में अधिकतम जलस्तर 37.95 मीटर था, जो अब 43.32 मीटर दर्ज किया गया है। गिरते जलस्तर के मामले में यह जिला राज्य में दूसरे नंबर पर है। जून 2013 में पठानकोट में अधिकतम जलस्तर 15.26 मीटर था, जो जून 2023 में 28.08 मीटर दर्ज किया गया है। इसी तरह होशियारपुर, जालंधर, कपूरथला, रोपड़, नवांशहर और तरनतारन जिलों में जलस्तर में कमी चिंताजनक है।
पंजाब में सब्जियां, कपास, सरसों और दालों समेत सभी तरह की फसलें पैदा होती थीं। 1970 के दशक में हरित क्रांति आई। नए बीजों और नई फसलों के कारण पैदावार भी कई गुना बढ़ गई।
धान का रकबा कम किया जा रहा है
नहरों की खुदाई करके टेल तक पानी पहुंचाया जा रहा है। धान का रकबा कम किया जा रहा है। सरकारी विश्राम गृहों, नहरों, नालों आदि के पास बोरिंग करके रिचार्ज पिट बनाए जा रहे हैं। लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कई तरह की नई नीतियां और कृषि तकनीकें अपनाई गई हैं, लेकिन उनके अप्रत्याशित पारिस्थितिक और सामाजिक परिणाम हैं।
परिणामों ने कई समस्याएं पैदा कीं। पहले 45% से अधिक क्षेत्र नहर के पानी से सिंचित था। नई तकनीक का उपयोग करके कई और अगेती फसलें बोनी शुरू कीं। इससे धान का रकबा बढ़ता गया।
हाल ही में प्री-मानसून (जून 2023) भूजल स्तर विश्लेषण रिपोर्ट तैयार की गई है। जून 2013 से जून 2023 तक का आकलन किया गया है। मालवा के जिलों में जल स्तर गिरा है।
राज्य के 78% क्षेत्र डार्क जोन बन गए हैं। केंद्रीय बोर्ड की नवंबर 2023 की रिपोर्ट में कहा गया है कि भूजल के बेलगाम दोहन से पंजाब दो दशकों में सूखाग्रस्त राज्य बन जाएगा। 78% क्षेत्र डार्क जोन में है, केवल 11.3% क्षेत्र ही सुरक्षित रह पाया है।
राज्यसभा के सदस्य बलबीर सिंह सीचेवाल ने बताया कि दोहन में जमीन की कमी नहीं है। पानी के रीयूज़ की तरफ जाना होगा। दूसरे किसानों को बिजनेस के बारे में सोचा होगा कि उन्हें कम पानी की जरूरत होगी।