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बरसात के सीजन में बकरियों को हो सकती है कई खतरनाक बीमारियां, पशुपालक करें ये कुछ उपाय

Goat Farming : बकरी फार्म कर पशुपालक थोड़े से खर्चे में अत्यधिक मुनाफा कमा रहे हैं। भारत देश में बकरियों कि अनेकों नस्ल पाई जाती है। फिलहाल मानसून के मौसम में बकरियों पर काफी ध्यान देना पड़ता है। इस मौसम में बहुत सी ऐसी बीमारियां है जो बकरियों के लिए खतरनाक है।

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बरसात के सीजन में बकरियों को हो सकती है कई खतरनाक बीमारियां, पशुपालक करें ये कुछ उपाय

Goat Milk Replacer : भारत देश के ग्रामीण इलाकों के लोग खेती-बाड़ी के साथ पशुपालन कर अपनी अच्छी आजीविका चला रहे हैं। ज्यादातर देखने में आया है किसान पशुपालन में बकरियां खूब संख्या में पालते है। बकरी पालन के दो फायदे हैं। इनका दूध बेचने के साथ मांस भी बेच सकते हैं। बकरी पालन करने पर पशुपालकों को कम खर्चे में अधिक मुनाफा मिलता है।

मानसून के मौसम में बकरी पालन करने वाले किसानों को उन पर काफी ध्यान देना पड़ता है। बारिश के मौसम में बकरियां में प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। इसलिए पशुपालकों को सतर्क रहना पड़ता है। मौसम में बकरियां में अनेक तरह के रोग आने की संभावना रहती है।

निमोनिया की शिकायत

बरसात शुरू होते ही बकरियां में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने की वजह से बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। बरसात के मौसम में पशु भीगने के कारण निमोनिया जैसी बीमारी की तो पेट में आ सकता है। अगर समय रहते इलाज ना करवाया जाए तो पशु की मृत्यु भी हो सकती है। इसके मुख्य लक्षण  सांस लेने में कठिनाई, पशु का तरना पीना छोड़ देना, बार-बार खांसी आना है। इससे बचाव के लिए बकरी पालकों को बरसाती सीजन से पहले टीकाकरण अवश्य करा लेना चाहिए। यह रोग लग जाने पर नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करें। पशु को तेल की भाँप दे और  बारिश में भीगने से बचाए।

महामारी रोग

महामारी रोग को  पीपीआर भी कहा जाता है, इस बीमारी के हो जाने पर पशुओं में बुखार, मुंह में घाव, दस्त तथा बकरियों की मौत तक हो जाती है। यह बीमारी सबसे ज्यादा छोटे बच्चों और कुपोषण की शिकार भेड़ बकरियों को अपनी गिरफ्त में लेती है। बकरियां में इस रोग के आ जाने पर सांप और पोशाक पशु आहार खिलाना चाहिए और नजदीक की डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

चेचक रोग

चेचक रोग पशुओं के लिए एक भयंकर संक्रमित रोग। यारों गाने पर भेड़ बकरियों में बुखार, शरीर में गोल लाल रंग के चलते पड़ जाते हैं। बाद में फोड़े का रूप लेकर फुटकर घाव बन जाते हैं। इस रोग से पशु को बचाने के टिंचर आयोडीन का इस्तेमाल करें। बीमार बकरियों को अलग स्थान पर रखें और तुरंत चिकित्सक से सलाह ले।

पेचिश रोग 

बरसात के मौसम में बकरियां में पेचिश बीमारी भी लग जाती है। यह रोग लग जाने थे पशु में कमजोरी होती है और भूख कम लगती है, पशु पानी ज्यादा मात्रा में पिता है, पतला दस्त और खूनी बदबूदार दस्त रोग के लक्षण होते हैं। पेचिश रोग लगने पर पशु कई सालों तक प्रभावित हो सकता है। तुरंत स्थानीय डॉक्टर से संपर्क कर बिना देरी किये इलाज करवाना चाहिए।

खुरपका और मुंहपका रोग

बरसाती मौसम की शुरुआत हो चुकी है। इस मौसम में बकरियों के मुंह है और खुर मैं छाले पड़ जाते हैं। मुंह से लार टपकने लगती है। समझ लीजिए पशु रोग की चपेट में आ गया है। पशु अच्छे से चारा नहीं का पता और पैरों में घाव हो जाते हैं। यह एक संक्रामक रोग है इसलिए बीमार पशुओं को अलग स्थान पर रखें और बार-बार पशु के लिए फिटकरी का इस्तेमाल करें। जल्द से जल्द पशु का टीकाकरण पूरा करवाए।

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