धान की रोपाई के लिए अपनाएं ये खास तरीका, रोगमुक्त और जबरदस्त होगी पैदावार
Tips for Transplanting Paddy : उत्तर प्रदेश में धान की रोपाई का समय आ गया है और किसान धान की रोपाई बड़े स्तर पर कर रहे हैं। जैसा कि हम जानते हैं धान की फसल को खरीफ सीजन की मुख्य फसल माना जाता है। धान की रोपाई करने से पहले किसानों के लिए हम अहम जानकारी लेकर आए हैं। किसानों को धान की रोपाई करने से पहले को जरूरी बातों का पालन करना आवश्यक है। जिससे किसानों की आय और पैदावार में बढ़ोतरी हो सके। आज हम आपको बताने वाले हैं कि किस तरीके से धान की रोपाई करके पैदावार को बढ़ाया जा सकता है।
रायबरेली कृषि विश्वविद्यालय के सहायक विवेक कुमार ने बताया कि धान की नर्सरी तैयार करते समय कीट प्रबंधन का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसके साथ-साथ रोपाई के समय भी कीट प्रबंधन के लिए दवाइयां का अच्छे से छिड़काव करें और उर्वरक प्रबंधन का भी विशेष ध्यान रखें। जिससे उत्पादन में बढ़ोतरी की जा सके। धान की नर्सरी लगाते समय पत्ता लपेटक रोग का सबसे अधिक खतरा बना रहता है। समय से अगर इस रोग का उपचार नहीं किया जाए, तो यह पौधे की शुरुआती दिनों में फसल को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है। इससे किसानों का खर्च बढ़ जाता है और अधिक कीटनाशक और दवाओं की जरूरत पड़ती है।
धान की रोपाई
किसान नर्सरी में बीज लगाने के बाद कम से कम 20 से 22 दिन के बाद धान की रोपाई करें। क्योंकि धन का उत्पादन सबसे अधिक पौधे के कल्ले पर निर्भर करता है। क्योंकि पौधों पर जितनी संख्या कल्लो की अधिक होगी। उतना ही उत्पादन शानदार मिलेगा।
ऐसे करें खेत तैयार
किसान धान की रोपाई करने से पहले खेत को अच्छी तरह तैयार करते हैं। लेकिन खेत को तैयार करते समय कुछ जरूरी बातों का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। खेत की जुताई करते समय किसानों को सूखे खेत में पानी छोड़कर रोटावेटर या फिर हाइड्रोलिक डिस्क हैरो से जोतकर खेत तैयार करना चाहिए। ताकि पूरे खेत में एक साथ पानी चलाया जा सके। साथी उन्होंने बताया कि दान की रोपाई पंक्ति बार पद्धति से करनी चाहिए। क्योंकि इस तरीके से रोपाई करने पर पौधे का विकास अच्छी तरह होता है और उत्पादन भी बढ़िया मिलता है। धान की रोपाई करते समय ध्यान रखें कि पौधे की दूरी 10 से 15 सेंटीमीटर और लाइन से लाइन की दूरी 18 से 22 सेंटीमीटर तक होनी चाहिए।
कीटनाशक का प्रबंधन
कृषि वैज्ञानिक विवेक कुमार ने बताया कि पौधे के विकास और अच्छी पैदावार के लिए पोषण मिलना सबसे अधिक जरूरी होता है। धान की रोपाई से पहले की जाने वाली जुताई के समय किसानों को प्रति एकड़ 50 किलो डीएपी और 25 से 30 किलो पोटाश का प्रयोग करना चाहिए। जिससे पौधों की जड़ों का विकास बढ़िया होगा और अधिक कल्ले आएंगे। किसान 20 से 22 दिन बाद फसल में यूरिया की बढ़िया तरह से टॉप ड्रेसिंग कर दें। किसानों को 25-25 किलो के हिसाब से दो बार यूरिया देनी चाहिए।
धान की बुवाई के 20 दिन बाद खरपतवार नियंत्रण के लिए नॉमिनी गोल्ड का इस्तेमाल करना चाहिए। इस दवाई का इस्तेमाल छिड़काव विधि से करना चाहिए। जिससे फसल में उपस्थित सभी प्रकार के खरपतवार नष्ट हो जाएंगे और पैदावार बढ़ाने में सहायता मिलेगी।