मुंह-खुर रोग के आर्थिक नुकसान, जानवरों में आती हैं दूध पैदावार की कमी
Haryana News : भारत सरकार द्वारा जारी कॉपीराइट प्रमाण पत्र सार्वजनिक किया। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह एप मुंह-खुर रोग जैसे उभरते खतरों के बीच पशु स्वास्थ्य की सुरक्षा और कृषि स्थिरता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण सिद्ध होगी। कुलपति डॉ. विनोद कुमार वर्मा ने पशु चिकित्सा माइक्रोबायोलॉजी विभाग, लुवास, हिसार के वैज्ञानिकों के प्रयासों की सराहना की हैं।
Haryana News : यह ऐप मुंहखुर रोग के प्रकोप से होने वाले आर्थिक नुकसान का सटीक और आसानी से आंकलन करता है और रोग नियंत्रण योजनाओं के कार्यान्वयन को बढ़ावा देता है। राष्ट्रीय खुरपका एवं मुंहपका रोग संस्थान ने कुछ समय पहले भुवनेश्वर में देशभर के क्षेत्रीय खुरपका-मुंहपका रोग केंद्रों और नेटवर्क इकाइयों की एक बैठक में कहा कि मुंहपका रोग से होने वाले आर्थिक नुकसान का सटीक आकलन करना आवश्यक है। कुलपति के निर्देशानुसार, लुवास वैज्ञानिकों ने इसका संज्ञान लेते हुए मुंह-खुर रोग से होने आर्थिक नुकसान के बारे में जानकारी दी हैं।
भारत सरकार ने कॉपीराइट प्रमाणपत्र को सार्वजनिक किया। उनका अनुमान था कि मुंह-खुर रोग जैसे उभरते खतरों के बीच पशु स्वास्थ्य की सुरक्षा और कृषि स्थिरता सुनिश्चित करने में यह एप महत्वपूर्ण सिद्ध होगा। लुवास में माइक्रोबायोलॉजी विभाग द्वारा किए गए अध्ययन ने हरियाणा को भारत सरकार के पशुपालन और डेयरी विभाग से मुंह खुर और गलघोटू रोग के संयुक्त टीकाकरण की अनुमति दी है।
कॉपीराइट अधिग्रहण प्राप्त हुआ
लुवास चिकित्सा माइक्रोबायोलॉजी विभाग के वैज्ञानिकों की तरफ से डिजाइन किए एप के लिए कॉपीराइट अधिग्रहण प्राप्त हुआ है। इस एप की मदद से गाय, भैंस, भेड़-बकरी ओर सूअरों में मुंह खुर की बीमारी एफएमडी के प्रकोप से होने वाले आर्थिक नुक्सान का सटीक आंकलन किया जा सकता है।लुवास एफएमडी ई-लॉस कैलकुलेटर' के बारे जानकरी देते हुए डॉ. नरेश कक्कड़ ने बताया कि यह एप्प मुंहखुर रोग के प्रकोप से होने वाले आर्थिक नुकसान का सटीक और आसानी से आंकलन की सुविधा देता है ओर रोग नियंत्रण कार्यक्रम के कार्यान्वयन को बढ़ाता है।
आर्थिक नुकसान
कुछ समय पहले राष्ट्रीय खुरपका एवं मुंहपका रोग संस्थान, भुवनेश्वर में देशभर के क्षेत्रीय खुरपका-मुंहपका रोग केंद्रों और नेटवर्क इकाइयों की एक बैठक के दौरान, मुंह-खुर रोग से होने वाले आर्थिक नुकसान के आंकलन की सटीक पद्धति की जरूरत सामने आई थी। इसका संज्ञान लेते हुए लुवास वैज्ञानिकों ने कुलपति के निर्देशानुसार मुंह-खुर रोग से होने वाले आर्थिक नुकसान को निर्धारित करने के लिए शोधकर्ता डॉ. स्वाति दहिया, डॉ. नीलम रानी और डॉ. स नरेश. के. कक्कड़ ने एक एप पर के काम करना शुरू किया था।
आर्थिक नुकसान को निर्धारित करने के लिए शोधकर्ता डॉ. स्वाति दहिया, डॉ. नीलम रानी और डॉ. स नरेश. के. कक्कड़ ने एक एप पर के काम करना शुरू किया था। डॉ. स्वाति दहिया ने बताया कि कि एप को बनाने की प्रक्रिया में पहले से ब मौजूद बेसलाइन डेटा का उपयोग क और कंप्यूटर प्रोग्रामिंग-सॉफ्टवे यर के साथ इसके इंटरफेस पर काम किया गया है, जिससे पशुओं के आयु और लिंग के अनुसार होने वाले नुकसान को सही तरीके से कैल्कुलेट किया जा सकता है। यह एप किसानों को मुंह खुर रोग टीकाकरण कार्यक्रम के लिए जागरूक भी करेगी।