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मॉनसून में इस फसल की खेती कर कमाएं बढ़िया मुनाफा, प्रति हेक्टेयर होगा 25 टन तक उत्पादन

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Saral Kisan: भारतीय अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर करती है. यहाँ के 70 प्रतिशत लोगों का जीवन खेती पर निर्भर करता है. तकरीबन किसान पारंपरिक तरीके से ही रबी, खरीफ और नदगी फसलों की खेती करते हैं. परंतु कुछ ऐसे भी किसान हैं, जो वैज्ञानिक विधि से नई- नई फसलों की खेती कर रहे हैं. इससे किसानों को पहले के मुकाबले अच्छी उपज ले रहे है. आज हम एक ऐसे ही कंद के बारे में बात करेंगे, जिसकी खेती बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में किसान ज्यादा करते हैं.

शकरकंद एक तरह का कंद होता है. इसकी फार्मिंग आलू की तरह होती है. इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी अधिक उपयुक्त होती है. वहीं, मिट्टी का PH मान 5.8 से 6.8 के बीच होना जरूरी है. इसकी खेती हमेशा सूखी जमीन पर होती है. पथरीली और जलभराव वाली जमीन पर इसकी खेती करने पर फसल को नुकसान हो सकता है.

किसी भी मौसम में इसकी खेती की जा सकती हैं, परंतु मानसून के सीजन में इसकी खेती करने पर अधिक पैदावार मिलती है. इसके पौधे 25 से 34 डिग्री तापमान लाभदायक होता हैं. अगर किसान शकरकंद की खेती करने की सोच रहे हैं, तो सबसे पहले शकरकंद की नर्सरी तैयार करनी होगी. लगभग एक महीने में इसकी नर्सरी विकसित हो जाती है. इसके बाद पहले से तैयार खेत में पौधों की रोपाई कर दें.

रोपाई करने के 120 दिन बाद शकरकंद की फसल तैयार होती है. आप खाद के रूप में पोटाश नाइट्रोजन और फॉस्फोसर का प्रयोग कर सकते हैं. अगर खेत की मिट्टी अधिक अम्लीय है तो बोरोन और मैग्निशियन का भी प्रयोग किया जा सकता है. खास बात यह है कि हमेशा विशेषज्ञों की सलाह पर ही खाद का छिड़काव करें. अगर किसान भाई एक हेक्टेयर में शकरकंद की खेती करते हैं, तो उनको 25 टन तक पैदावार मिल सकती है. अगर आप 10 रुपये किलो भी शकरकंद बेचते हैं, तो 25 टन शकरकंद बेचकर ढ़ाई लाख रुपये की कमाई हो सकती हैं.

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