Deep Ploughing : खेतों की करें गहरी जुताई किसानों के लिए होगी वरदान साबित, बिना कीटनाशक होगी अच्छी पैदावार
Benefits of deep ploughing : मौसम चाहे कोई भी हो, किसानों को अपनी फसलों की बुवाई से लेकर कटाई तक गहरी चिंता बनी रहती है: इनमें कीट प्रबंधन, खरपतवार प्रबंधन और मृदा जनित रोगों का प्रबंधन होता है। कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि गहरी जुताई करने से फसल उत्पादन में 15 से 20 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी मिलती है। पर इस तरफ किसानों का ध्यान नहीं है।
Benefits of deep ploughing : मौसम चाहे कोई भी हो, किसानों को अपनी फसलों की बुवाई से लेकर कटाई तक गहरी चिंता बनी रहती है, लेकिन कुछ तरीके ऐसे हैं, जिनसे किसान किसी कीटनाशक का छिड़काव किए बिना फसलों की अच्छी पैदावार ले सकते हैं। इन तरीकों में से एक है, खेत की गहरी जुताई करना। फसलों की अच्छी पैदावार के लिए गहरी जुताई बहुत ही आवश्यक होती है। जुताई के कारण ही फसलों को जड़े बनाने और उनमें पोषक तत्व पहुंचाने में मदद मिलती है। गर्मियों में गहरी जुताई करने से खेती व किसानी को बहुत फायदा मिल सकता है।
इनमें कीट प्रबंधन, खरपतवार प्रबंधन और मृदा जनित रोगों का प्रबंधन होता है। कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि गहरी जुताई करने से फसल उत्पादन में 15 से 20 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी मिलती है। पर इस तरफ किसानों का ध्यान नहीं है। किसान कीष्मकालीन गहरी जुताई मई-जून के महीने में मिट्टी पलटने वाले हल जैसे मोल्ड बोर्ड प्लाऊ, टर्न रेस्ट प्लाऊ या रिवर्स विल मोल्ड बोर्ड प्लाऊ आदि कृषि यंत्रों से कर सकते हैं।
वरदान साबित हो सकती गहरी जुताई
किसानों को कम से कम 3 वर्षों में एक बार खेतों की 20 सेंटीमीटर तक की गहरी जुताई करनी चाहिए। ऐसा करने से किसानों को समय ज्यादा जरूर लग सकता है। पर उनके खेत अच्छी तरह से तैयार हो जाते है। गर्मियों में खरीफ की फसलों की बिजाई करने वाले किसानों के लिए ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई वरदान साबित हो सकती है। क्योंकि मिट्टी में लगातार एक जैसी फसलें उगाने से एवं रासायनिक खादों व दवाओं से मिट्टी सख्त हो जाती है। जिससे मिट्टी में कड़ी परत बन जाती है। ऐसी स्थिति में जमीन में पानी प्रवेश नहीं कर पाता है। सारी जमीन पानी कम सोखती है।
जलस्तर में गिरावट
जमीन के नीचे जलस्तर में गिरावट देखी जाती है, वहीं खेती को भी नुकसान होता है। जमीन के ऊपर कड़ी परत बनने के कारण जमीन की उर्वरक शक्ति कमजोर होती जाती है। फसलों में विभिन्न प्रकार के रोग, कोट एवं बीमारियों एवं खरपतवारों की समस्या प्रतिदिन बढ़ती जाती है। समस्या उत्पन्न होने के बाद किसान बाजारों में उपलब्ध कीटनाशकों का धड़ाधड़ प्रयोग करते हैं। ऐसा करने से फसलों को फायदा मिलने की बजाय नुकसान पहुंचता है व फसलों के उत्पादन में गिरावट आती है।
गहरी जुताई के लाभ
गमी के मौसम में अवसर मिट्टी की ऊपरी गहरी परत कठोर हो जाती है। महरी जुताई करने से भूमि की ऊपरी कठोर परत टूट जाती है। जिससे मिट्टी में वर्षा जल स्सि स्सि कर जमीन के अंदर चला जाता है। इस प्रकार जमीन की जल धारण क्षमता बनी रहती है। इसके साथ साथ भूजलस्तर में भी वृद्धि होती है। इस प्रक्रिया से फसलों के अवशेष के मिट्टी में जब जाने से कार्बनिक पदार्थ की मात्रा में वृद्धि हो जाती है। जिससे मिट्टी में जैविक कार्बन का स्तर बढ़ जाता है और मृदा की भौतिक संरचना में सुधार होता है। मृदा में हवा का आवागमन बढ़ जाता है।
साथ ही सूक्ष्म जीवों की संख्या में भी वृद्धि हो जाती है। जो भविष्य में फसलों के लिए रामबाण सिद्ध होते हैं। जैविक पदाथों का विघटन सर्वाधिक होता है, जिससे भूमि कि उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है। इसके साथ ही वायुमण्डल की नाइट्रोजन जल में घुल कर मिट्टी में चली जाती है, जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति में वृद्धि हो जाती है। ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई खेत की दाल की विपरीत दिशा में करने से मृदा एवं जल कटाव में कमी आती है और वर्षा का जल बहकर बुकसान हो जाने से भी बच जाता है। इसलिए गर्मी के दिनों में फसलों की बिजाई करने से पहले जुताई करनी चाहिए।