रसोई घर में खास स्थान रखने वाले इस मसाले की करें खेती, एक बार उगाने पर 60 साल तक मिलेगा उत्पादन
Black Pepper Cultivation :गेहूं नरमा कपास जो चावल जैसी खेती में मुनाफा कम होने की वजह से किसान बढ़ रहे मसाले की खेती की तरफ । मसाले की खेती से किसान कम लागत में अच्छा लाभ उठा रहे है। हर घर के रसोई घर में उपयोग होने की वजह से ये मसाला अच्छे दाम पर बिक रहा है।
Black Pepper Cultivation : मसाले में विशेष स्थान रखने वाली काली मिर्च की खेती कर किसान अच्छा मुनाफा कम सकते है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर किसान काली मिर्च का पौधा अपने खेत में एक बार लगता है तो वह 25 साल से लेकर 60 वर्ष तक पैदावार देता है। काली मिर्च का पौधा बेलो की तरह होता है। जिस तरह लोकि तौरु की बेल की तरह काली मिर्च का पौधा पेड़ के नीचे लगाया जा सकता है। बाद में बड़ा होने पर पेड़ पर चढ़ाया जा सकता है।
काली मिर्च को मसलों का राजा माना जाता है। क्योंकि इसका उपयोग हर घर की रसोई में किया जाता है। खाने की चीजों से लेकर, पीने की चीजों तक काली मिर्च का प्रयोग किया जाता है। दुनिया भर में भारत काली मिर्च के उत्पादन में पहले स्थान रखता है। दक्षिणी भारत में काली मिर्च की खेती अत्यधिक की जाती है।
काली मिर्च का उत्पादन भारत के अकेले राज्य केरल में 90 फीसदी तक किया जाता है। काली मिर्च की फसल बोने का प्रयास देश के अन्य राज्यों में भी किया जा रहा है। बहुत सारी जगह किसानों ने काली मिर्च की खेती करने में सफलता हासिल की है। हजारीबाग के कृषि अनुसंधान केंद्र डेमोटांड़ में काली मिर्च की खेती की गई है जो पूरी तरह से कामयाब हो गई है। हजारीबाग में काली मिर्च को चाय के बागानों में पेड़ों के निचे उगाया गया है।
हजारीबाग के कृषि अनुसंधान केंद्र के माली राजेश कुमार जानकारी ने बताया कि साल 2005 में हजारीबाग के कृषि अनुसंधान केंद्र में काली मिर्च का पौधा टेस्टिंग के लिए उगाए गए थे। पिछले कई सालों से इन पौधों से काली मिर्च की पेदावार ली जा रही है। उन्होंने आगे बताया कि काली मिर्च की खेती किसानों के लिए वरदान से कम नहीं होगी।
किसान के खेतों और बागों में ऐसे कई पेड़ होते हैं। जिनकी छांव के नीचे कोई भी फसल पूर्ण रूप से नहीं उग पाती है। ऐसे में किसान इन पेड़ों के नीचे काली मिर्च का पौधा उगा सकते हैं। यहां की काली मिर्च का स्वाद केरल की काली मिर्च की तरह तीखी और स्वादिष्ट है। दोनों को देखकर ये बता पाना मुश्किल होगा कि दोनों अलग-अलग जगह उपजाई गई हैं। किसान अनुसंधान केंद्र जाकर इसके संबंध में पूछताछ और जानकारी भी ले सकते हैं।
इस संबंध में हजारीबाग के गोरिया करमा स्थित आईसीएआर के कृषि वैज्ञानिक डॉ. आरके सिंह बताते हैं कि काली मिर्च की खेती के लिए 35 डिग्री तक का तापमान उपयुक्त माना जाता है। इसके पौधे की आयु 25 से लेकर 60 साल के बीच मानी जाती है। साथ ही ये लता वाला पौधा होता है। जिस कारण इसे पेड़ों के नीचे लगाना चाहिए ताकि काली मिर्च का पौधे आसानी से उन पेड़ों के सहारे बढ़ सके। इसके बीज नर्सरी में किसानों को मिल जाएंगे। किसान छांव वाली भूमि में इसकी खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।