Cotton Farming: कपास की बिजाई में आई कमी, किसानों को MSP बढ़ने का इंतजार
Cotton Sowing : कपास की कीमतों में कमी के चलते इस बार रकबा कम होने का अनुमान लगाया जा रहा है। देश के प्रमुख कपास उत्पादक राज्य गुजरात और महाराष्ट्र में आर्थिक कमजोरी के चलते लोगों का रुझान दलहन और मक्का की ओर बढ़ रहा है।
Cotton Kharif Season 2024 : जैसा कि हम जानते हैं उत्तर भारत में करीबन खरीफ की बुवाई पूरी हो चुकी है। आंकड़ों के मुताबिक ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है, कि अबकी बार बिजाई करीबन आधी हुई है। आंकड़ों के अनुसार अनुमान लगाया जा रहा है कि इस साल करीब सीजन में राजस्थान हरियाणा और पंजाब में कपास की बुवाई में 50 से 60% की गिरावट देखने को मिल रही है।
बीते वर्ष 124.69 लाख हेक्टेयर
कॉटन एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के अनुसार बीते वर्ष 124.69 लाख हेक्टेयर में कपास की बिजाई की गई थी। लेकिन साल 2024 में कपास के रखना में भारी गिरावट देखने को मिल रही है। उत्तर भारत में विदाई का कार्य करीबन पूरा हो चुका है और कपास का रकबा बीते साल के मुकाबले लगभग आधा देखने को मिला है। क्योंकि बीते दो-तीन सालों में किसानों को गुलाबी सुंडी की वजह से भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। जिससे कपास की फसल पर लग रही लागत भी पूरी नहीं हो रही है।
कपास छोड़ इन फसलों में बढ़ा रुझान
एक सर्वे के अनुसार बताया जा रहा है कि गुजरात के जिन हिस्सों में कपास की फसल बोई जाती थी। वहां अब किस मूंगफली और अन्य फसलों की तरफ रुख कर रहे हैं। देश में सबसे अधिक कपास उत्पादन महाराष्ट्र में होता है। महाराष्ट्र और आसपास के रखवा में 10 से 15% की कमी देखने को मिली है। कपास की फसल को छोड़कर यहां पर किसान दाल की खेती की और रुख कर रहे हैं।
कपास में बीमारियों ने किया परेशान
कॉटन एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया का कहना है कि बीज वितरकों की प्रतिक्रिया के अनुसार भारत में बुवाई का रकबा करीबन आधा हो चुका है। गुलाबी सुंडी की वजह से हरियाणा और पंजाब के किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। पानी की कमी के चलते मध्य और दक्षिणी भारत में भी कपास की शुरुआती बिजाई में कमी आई है।