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इस तकनीक से खेती करने पर फूलगोभी देगी बंपर उत्पादन, 1 साल में दुगनी होगी कमाई

आज हम आपको फूलगोभी की फसल के बारे में पूरी जानकारी देने वाले है। फूलगोभी की फसल को रबी सीजन की मुख्य फसल माना जाता है। लेकिन इस फसल को खरीफ सीजन में उगाकर बढ़िया मुनाफा कमाया जा रहा है।
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इस तकनीक से खेती करने पर फूलगोभी देगी बंपर उत्पादन, 1 साल में दुगनी होगी कमाई

Cauliflower Cultivation : खरीफ सीजन की फसलों के लिए जून जुलाई का महीना सबसे बेस्ट माना जाता है। आमतौर पर इस सीजन में किसान धान, मक्का, बाजरी की खेती करते हैं। लेकिन आज हम आपके खरीफ सीजन की कई ऐसी फसलों के बारे में बताने वाले हैं, जिनकी आसानी से खेती करके बढ़िया मुनाफा कमाया जा सकता है।

आज हम आपको फूलगोभी की फसल के बारे में पूरी जानकारी देने वाले है। फूलगोभी की फसल को रबी सीजन की मुख्य फसल माना जाता है। लेकिन इस फसल को खरीफ सीजन में उगाकर बढ़िया मुनाफा कमाया जा रहा है। रायबरेली राजकीय कृषि केंद्र के सहायक विवेक कुमार ने बताया कि रबी सीजन में होने वाली फूलगोभी की खेती को नम जलवायु और सामान्य तापमान की जरूरत पड़ती है।

उन्होंने जानकारी दी की फूलगोभी की फसल ज्यादा ठंड और गर्मी सहन नहीं कर पाती है। इसके साथ-साथ शुष्क मौसम और कम नमी भी इस फसल के लिए हानिकारक होती है। अधिक तापमान में इसका फुल पीला पड़ने लगता है और बीज में छोटी-छोटी पत्तियां उगने लगते हैं।

फूल गोभी की खेती के लिए ऐसी मिट्टी की जरूरत पड़ती है जिसमें पोषक तत्व और जीवांस पर्याप्त मात्रा में होने चाहिए। खेत में पर्याप्त मात्रा में नमी के साथ-साथ पानी निकालने की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। अगेती फसल के लिए बलुई दोमट मिट्टी की जरूरत पड़ती है। नर्सरी के 4 से 6 सप्ताह बाद पौधों की रोपाई कर देनी चाहिए।

फूलगोभी की खेती करने वाले किसान जून जुलाई में नर्सरी तैयार कर सकते है। बीज की बुवाई से पहले कॉटन और थ्योरम 2 से 3 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से बीज उपचारित करना पड़ेगा। जिससे पौधा स्वस्थ रहेगा और बढ़ाने में आसानी रहेगी। फूलगोभी की खेती पोली हाउस में सबसे सही रहती है। क्योंकि खरीफ सीजन के हिसाब से पॉलीहाउस में तापमान अनुकूल रहता है।

फूलगोभी की खेती के लिए पौधों को पंक्तियों में लगाया जाता है। फूलगोभी की रोपाई करते समय पौधे से पौधे की दूरी 45 सेमी और पंक्ति से पंक्ति की जोड़ी 60 सेंटीमीटर तक रखनी चाहिए। पौधे की रोपाई करने के बाद हल्की सिंचाई कर दें। खेत की सिंचाई हल्की मिट्टी में 5 दिन बाद और भारी मिट्टी में 8 दिन के बाद करते हैं।

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