Agri News: मानसूनी बरसात में धान की फसल पर होगा बीमारियों का खतरा, खास ध्यान रखना बेहद जरूरी
Agriculture Department Hisar: मानसून की बरसात जहां एक तरफ किसानों और आम जनता के लिए राहत लाती है इसके अलावा साथ में कई सारी बीमारियों को भी जन्म देती है. लगातार बारिश होने से फसलों को नुकसान होने का खतरा भी ज्यादा बढ़ जाता है। मानसून की बरसात के दिनों में किसानों को अपनी फसल का खास ध्यान रखना बेहद जरूरी हो जाता है.

Agricultural University Hisar: मानसून की बरसात जहां एक तरफ किसानों और आम जनता के लिए राहत लाती है इसके अलावा साथ में कई सारी बीमारियों को भी जन्म देती है. धान की फसल के विभिन्न विकास चरणों में कई प्रकार की बीमारियां और कीटों का प्रकोप देखने को मिलता है। यदि समय रहते नियंत्रण न किया जाए तो पैदावार पर बुरा असर पड़ सकता है। धान की पत्तियों पर ब्लास्ट, बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट, पत्ता लपेट सुंडी, सफेद पीठ बाला तेला व भूरा तेले का आक्रमण हो सकता है।
ब्लास्ट बीमारी के लक्षण नजर
धान की पलियों में बदरा यानि ब्लास्ट बीमारी के लक्षण नजर आते ही प्रति एकड़ 300 मिलीलीटर आइसोप्रोथियोलेन 40 प्रतिशत ईसी (फुजिवन) या 200 ग्राम कार्बेन्डाजिम 50 डब्ल्यूपी को 200 लीटर पानी में मिलाकर पहला रेड़िकाव करें और दूसरा छिड़काव 15 दिन बाद करें। बालियां निकलते समय खेत में सूखा न लगने दें। बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट (जीवाणुज पला अंगमारी) बीमारी के संक्रमण को कम करने के लिए खेतों में लगातार पानी न जमा रहने दें।
10 किलो सूखों बालू रेत में मिलाकर प्रति एकड़ फसल में डालें
किसान खेत में सफेद पीठ वाला तेला व भूरा तेला कोट का लगातार निरीक्षण करते रहे। ठेला दिखाई देने पर 80 ग्राम डईनोटिफ्यूरॉन 20 प्रतिशत एसजी. ओशीन 20% एसजी या 120 ग्राम पाइमेट्रोजिन चेस 50 डब्ल्यूपी को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। सफेद पीठ वाला तेला व भूरा तेला पीठ के निरीक्षण के लिए लाइट ट्रैप का प्रयोग भी कर सकते हैं। फसल में तना छेदक का प्रकोप भी है तो 7.5 किलोग्राम कारटॉप हाइड्रोक्लोराइड (पदान/सेनवैक्स) 4 जी. या 7.5 किलोग्राम फिप्रोनिल (रोजेन्ट मोरटल) 0.3 जी. को 10 किलो सूखों बालू रेत में मिलाकर प्रति एकड़ फसल में डालें।
पौधों को निकाल दे
1 से 2 सुंडी प्रति पौधा या 10 प्रतिशत प्रसित पत्तियां दिखाई देने पर 50 ग्राम फ्लूबंडामाइड (टाकूमी 20 प्रतिशत डब्ल्यूजी को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें या 4 किलोग्राम फरटेरा 0.4 प्रतिशत जी. को 10 किलोग्राम सूखी रेत में मिलाकर प्रति एकड़ भुरके। अधिक ग्रसित पौधों को निकाल दे।
फसल में पानी की कमी न होने दें
धान की फसल में पानी की कमी न होने दें। धान की कम अवधि की किस्मों में 84 किलोग्राम यूरिया, धान की मध्यम अवधि की किस्मों में 110 किग्रा यूरिया, आसमानो की बौनी किस्मों में 68 किग्रा पूरिया व लंबी किस्मों में 42 किया मूरिया प्रति एकड़ को तीन बार रोपाई के 3 सप्ताह बाद डाले।