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आ गया खरीफ फसलों की बुवाई का जबरदस्त तरीका, उत्पादन से भर जाएगी जेब

खरीफ फसल की तैयारी कर रहे किसानों को यह ध्यान रखना चाहिए कि दूसरी बारिश के बाद खेत में बखर चलाकर खरपतवार निकालना न भूलें। 

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आ गया खरीफ फसलों की बुवाई का जबरदस्त तरीका, उत्पादन से भर जाएगी जेब 

Saral Kisan, Agriculture News : रबी फसल की कटाई को लगभग एक महीना हो चुका है। अब धीरे-धीरे खरीफ फसल का समय नजदीक आ रहा है और किसान इसकी तैयारियों में जुट गए हैं। इस बार मानसून के जल्दी आने की संभावना है। ऐसे में किसानों को खरीफ फसल की बुवाई के लिए किस प्रकार की तैयारियां करनी चाहिए और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इस पर कृषि वैज्ञानिकों ने महत्वपूर्ण सलाह दी है। साथ ही, उन्हें मृदा परीक्षण के लिए भी जागरूक किया गया है। 

शानदार उत्पादन के लिए सही समय  

रिटायर्ड कृषि वैज्ञानिक विजय कुमार पराड़कर ने कहा कि "सही समय पर और उचित तरीके से तैयारी करने से किसानों को बंपर उत्पादन प्राप्त होगा और अन्य परेशानियों का सामना नहीं होगा।" उन्होंने जानकारी दी गई है कि "ग्रीष्म ऋतु में जमीन का तापमान ज्यादा रहता है। जब बारिश शुरू होती है, तो पहली और दूसरी बारिश के बाद जमीन का तापमान कम हो जाता है।"  

बुआई का समय 

लेकिन इस दौरान खेत में खरपतवार उग आते हैं। ऐसे में किसानों को चाहिए कि दूसरी बारिश के बाद खेत में बखर चलाएं, जिससे खरपतवार को निकाला जा सके। इसके साथ साथ किसान ट्रैक्टर की मदद से भी खेत के खरपतवार को खत्म कर सकते हैं। ऐसा करने से खरीफ फसल की अच्छी पैदावार होने का अनुमान बढ़ जाता है।  

पोषक तत्वों की सही जानकारी  

विजय कुमार पराड़कर ने बताया कि "किसान अब मृदा परीक्षण के प्रति काफी जागरूक हो चुके हैं और अधिकांश किसान मृदा परीक्षण कार्ड (सॉइल हेल्थ कार्ड) भी बनवा चुके हैं। मृदा परीक्षण से किसानों को यह जानकारी मिलती है कि उनके खेत की मिट्टी में कौन-कौन से पोषक तत्व मौजूद हैं और किन पोषक तत्वों की कमी है।  

इसके बाद किसान गोबर की खाद, कंपोस्ट खाद या हरी खाद का उपयोग करके खेत में पोषक तत्वों की मात्रा को बढ़ा सकते हैं। साथ ही, वे फसलों के अवशेषों को मिट्टी में मिलाकर, न्यूनतम जुताई करके या फिर संतुलित मात्रा में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करके मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार ला सकते हैं।  

फसलों में इस तरह डाले पोषक तत्व 

मिट्टी में मिलने वाले पोषक तत्वों को फसल की आवश्यकता के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। इनमें हवा से मिलने वाले प्रमुख पोषक तत्व हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन और मिट्टी से मिलने वाले प्रमुख पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम और सल्फर शामिल हैं। इसके अलावा, सूक्ष्म तत्वों में लोहा, मैंगनीज, तांबा, जिंक, बोरान और क्लोरीन भी होते हैं। यदि इन सभी तत्वों की संतुलित मात्रा मिट्टी में मौजूद होती है, तो फसल की पैदावार अच्छी होती है।

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